जब ले तैं सपना से आयेमोला कुछु सुहावत नइये
संगी तैं ह अतेक सुहाये
पुन्नी चंदा ल देखेंव
तोरे मुह अस गोल गढन हे
अंधियारी म तारा देखेंव
माला के मोती अस तन हे
तोर सुगंध रातरानी हर भेजत रहिथे संग पवन के
नींद भरे रहिथे आंखीं में
दुख बिसराथंव जनम मरन के ।
लाला जगदलपुरी
नींद भरे रहिथे आंखीं में
दुख बिसराथंव जनम मरन के ।
हिरदे के गहराई ले उपजे सुग्घर कविता …..बधाई